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प्रचण्ड प्रधानमन्त्री वनेपछि भारतिय मिडियामा नेपालमा आर्थिक प्रतिवन्ध लाग्ने हल्ला

प्रचण्ड प्रधानमन्त्री वनेपछि भारतिय मिडियामा नेपालमा आर्थिक प्रतिवन्ध लाग्ने हल्ला

नेकपा माओवादी केन्द्रका अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल प्रधानमन्त्री वनेपछि नेपाल वित्तीय अपराध र आतङ्कवादी गतिविधिसँग संलग्न आर्थिक क्रियाकलापको निगरानी गर्ने अन्तर्राष्ट्रिय कार्यदल एफएटिएफ (फाइनान्सियल एक्सन टास्क फोर्स) को ग्रे लिष्टमा पर्ने खतरा वढेको भन्दै भारती मिडियाले प्रचार गर्न थालेका छन् ।

भारतको ‘जि न्यु’ टेलिभिजनले फाइनान्सियल एक्सन टास्क फोर्सको एउटा टिम नेपाल पुगेको र आतंकवादी गतिविधिसँग संलग्न आर्थिक क्रियाकलपको निगरानी सुरु गरेको जनाएको छ। पाकिस्तानको खुफिया एजेन्सीले नेपालमा वसेर भारत विरोधी गतिविधि गरिरहेको टेलिभिजनमा प्रशारित रिपोर्टमा उल्लेख छ। 

यसैगरी आईएसआईले भारतीय सिमा क्षेत्रमा मदर्सा र मस्जिदका नाममा भारत विरोधी जाल वनाएको र यस्ता काममा चिनले पनि पाकिस्तानलाई सहयोग गरिरहेको रिपोर्टमा उल्लेख गरिएको छ। यस्तै चिनले पनि नेपालमा भौतिक पुर्वाधार विकासका नाममा नेपालमा लगानी गरिरहेको उल्लेख गर्दै चिनले नेपाललाई भारतसम्म पुग्ने माद्यमका रुपमा प्रयोग गरिरहेको जनाईएको छ।

एफएटिएफको टिमले यि गतिविधिको निगरानी गरिरहेको र नेपाल ग्रे लिष्टमा पर्न सक्ने खतरा रहेको जनाईएको छ। 

यस्तो जिन्यूजको रिपोर्ट
चीन समर्थित सरकार आते ही नेपालके वुरेदिन सुरु हो गए है

नेपालके नयी प्रधानमन्त्री पुष्पकमल दाहालने २६ डिसेम्वरके दिन सपथ लिथी। यानी प्रधानमन्त्री वने उन्हे अभि एक महिना भी नहि हुवा है। लेकिन नेपाल एक वडी मुस्किलमे फस गया है। कहेना गलत नहि होगा की नेपाल तेजी से पाकिस्तान वन्ने की राह पर निकल पडा है। नेपालके वारेमे जो जानकारी सामने आरही है, वो भारतके लिए डराने वाली है। पाकिस्तानकी तरा नेपाल पर भी अव एफएटिएफ यानी फाईनान्सिलय एक्सन टास्क फोर्सके ग्रे लिष्टमे आनेकी खतरा वढ गया है। नेपालमे अचानक एफएटिएफकी एक टिम पहुँच गयी। लेकिन आतंकवाद तथा आतंवादसे जुडि हुई फण्डिङ पर नजर रख्नेवाली एफएटिएफकी टिम नेपाल क्युँ पहुची ? दरसल कई वार ये जानकारी सामने आई है की नेपालमे पाकिस्ताके खुफिया एजेन्सी आईएसआई काफी एक्टिभ है। आईएसआई नेपालमे वैठकर भारतके खिलाफ कई वार षडयन्त्र करचुकी है। नेपालमे चलरही भारत विरोधी गतिविधियो मे चिन भी सामेल रहा है।

अव इन सभीके विच एफएटिएफके टिमका पहुँचना नेपालकी मुस्किले वढा सकति है। नेपाली मिडियाकी माने तो पिछले दिनों एफएटिएफके एसिया प्यासिफिक ग्रुप ने नेपालका दौरा किया। आपको जानकारीके लिए वतादे की नेपाल पहिले भी साल २००८ से २०१४ तक एफएटिएफकी ग्रे लिष्टमे था। अव इसे कर्मोका फल ही कहिये की भारतसे पंगा लेनेवाले नेपालकी ग्रे लिष्टमे जानेका खतरा वढ गया है। अव आपको वता दे की एफएटिएफकी टिम नेपाल क्यू पहुची ?

दरसल साल २०१४ मे जव नेपाल एफएटिफके ग्रे लिष्ट से वाहर निकला था, तव उसे एफएटिफने कई सर्त मान्ने के लिए कहा था। नेपालको इन सर्तोको पुरा कर्नेके लिए देशमे चलरहे टेरर फाईनेन्सिङ नेटवर्कको तवाह कर्ना था। अव एफएटिफकी टिम यही देखने आई थि की नेपाल उन सर्तोको पुरा करपाया है या नही ? एफएटिफकी एसिया प्यासिफिक ग्रुप ने ये देखा की १६ डिसेम्वर २०२२ तक नेपालने इन सभी दिशाओमे कितनी प्रगति कि है। 

नेपालमे जोडतोड से वनी सरकारके सत्ता सम्हाल्नेके वाद से ही एक के वाद एक मुसिवते सामने आरही है। फाईनान्सिलय एक्सन टास्क फोर्स यानी एफएटिफकी नाराजगी नेपालके सामने पैदा हुवा सवसे वडा संकट है। एफएटिफने नेपालको चेतावनी दि है की वो अपनी पिछली हिदायतोके वारेमे वताए। की नेपालने उसपर कितना अमल किया। एफएटिएफ पहिले भी नेपालको आर्थिक प्रतिवन्ध लगानेवाली ग्रे लिष्टमे डालचुकी है। दरसल नेपालके रणनैतिक स्थिती वहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए वहाँ चिन और पाकिस्तान दोनोकी नजर रहती है।

लम्वे अर्से से नेपाल आईएसआईकी कारवाहीयोंका निसाना रहा है। भारतकी सिमाओंके पास मदर्सो औ मस्जिदोंका जाल वुन्नेमे आईएसआईका सवसे वडा हात रहा है। और आईएसआईके आनेके साथ ही आतंकवादी गिरोहोंका आश्रय स्थल भी नेपाल वन्ता गया। एफएटिफकी इन सभ पर नजर है।

दुस्री तरफ चीन भारत तक पहुँचने के लिए नेपालको जरिया वनाना रहता है। और इसके लिए नेपाल पर उसने अपना पुराना अजमाया हुवा जाल यानी ट्रयाप फेका है। चिन नेपालमे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेभलपमेन्ट जैसे कई प्रोजेक्टमे पैसा निवेश कररहा है। और वादमे उसी पैसेके एवसमे वो नेपाल पर कब्जा कर्ता जाएगा। जैसा उसने श्रृलंकाके साथ किया। यानी नेपाल इस समय दोहोरी परिसानीया झेल रहा है। पाकिस्तानकी तरफसे आईएसआई और आतंकवादी गिरोहोंकी वढ्ती कारवाहीयाँ और दुसरी तरफ भारतको अलहैदा करनेके लिए चिनके वढ्ते कदम जो नेपालको धिरेधिरे आर्थिक गुलामिकी तरफ धकेलेगी। ऐसेमे अगर एफएटिएफ ने नेपाल पर आर्थिक प्रतिवन्धो पर रास्ता साफ किया, तो इस मुसिवत से निकलना नेपालके लिए वहुत मुस्किल हो जाएगा। 
 

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